वक़्त को थोड़ा वक़्त दीजिए तभी तो, वक़्त आपको बेहतरीन नतीजे देगा |

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वक़्त को थोड़ा वक़्त दीजिए तभी तो, वक़्त आपको बेहतरीन नतीजे देगा....

 

   "वक़्त हंसाता है, वक़्त रुलाता है।
         वक़्त ही बहुत कुछ सिखाता है।
    वक़्त की कीमत जो पहचान ले।
     वही मंजिल को पाता है"


                नमस्कार दोस्तों एक बार की बात है,
एक राजा अपने   सैनिकों के साथ जंगल में शिकार के लिए जा रहा था फिर चलते-चलते राजा को प्यास लगने लगी तो आगे चलते चलते उसे एक झील दिखा तो सोचा उसी झील का पानी पी लूं, 
   
तो राजा ने अपने एक सैनिक से कहा- की तुम जाओ और मेरे लिए पीने लायक पानी लेकर लाओ उस झील से, 
फिर वो सैनिक उसके हुकुम के मुताबिक उस झील के पास पानी लाने गया तो वहां देखा कि बहुत से लोग वहां कपड़े धो रहे थे, और गाय भैंस धो रहे थे, 

उससे झील का पानी गंदा था तो राजा के सैनिक ने सोचा कि ये पानी तो गंदा है पीने योग्य नहीं हैं ,
 सोचते हुए वापस राजा के पास आ गया फिर राजा से बोला की - मालिक उस झील में तो लोग कपड़े धो रहे है और गाय भैंस को नहला रहे है तो पानी पीने योग्य नहीं है इस कारण मै आपके लिए पानी नहीं ला सका,

फिर राजा ने अपने   सैनिकों से कहा की कोई बात नहीं थोड़ी देर यही आराम करते हैं फिर आगे सफर में जाएंगे , तो सब लोग वही रुक गए । 
      फिर थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद राजा ने अपने सैनिक से फिर कहा कि - जाओ अब उसी झील से पानी लेके आना, वो सैनिक मन में सोचता है कि - मैंने तो मालिक को सब बता दिया था कि झील का पानी गंदा है पीने योग्य नहीं हैं कर के तो मालिक मेरे को वापस उसी झील से पानी लेने क्यों भेज रहे है ?

 सैनिक को तो जाना ही था क्योंकि उसके राजा का हुकुम था इसलिए बिना कुछ कहे झील के पास पानी लाने जाता है फिर झील के पास पहुंचते ही देखता है कि झील का पानी तो एकदम साफ था,वहां कोई लोग नहीं थे, और ना कोई गाय भैंस है। पानी तो पीने योग्य हो गया था, फिर वह बॉटल में पानी भर कर अपने राजा के पास लाया और राजा को दिया फिर उसके पानी पीने के बाद राजा से उसने पूछा कि- मालिक पहले बार मै पानी लेने गया था तो पानी तो गंदा था पीने योग्य नहीं था लेकिन जब दूसरी बार गया तो पानी तो एकदम साफ था पीने योग्य बन चुका था

तो राजा ने उससे कहा कि उस समय झील के पानी में हलचल था इस दौरान पानी में धूल, गंदगी, कपड़े धोने गाय भैंस को नहलाने के कारण पानी गंदा था वहां अशांति का माहौल था। 
   
   तो मेरे दोस्त इस वक़्त का यही कहना है कि-
       " खो देता है जो वक़्त को ,
         वो जीवन भर पछताता है ।
          क्योंकि गुजरा हुआ वक़्त,
         कभी लौट कर नहीं आता है ।

तो मेरे दोस्त इस झील की तरह हमारी जिंदगी में भी कई बार धूल और मैले पानी की तरह गंदगी नेगेटिविटी आ जाती है परेशानी भी आती है तो हम उसे दूर करने के लिए थोड़ा सा भी वक़्त नहीं देते है और हार मान लेते हैं जो हमे आगे बढ़ने से रोकती है, इस लिए आप जब भी किसी कार्य के लिए कदम उठाते हैं तो उसे थोड़ा वक़्त दीजिए और देखिए फिर आपका लाईफ कैसा बनता है, तो मै बताना चाहूंगा की हमारी एनजीओ संस्था स्पेशल चाइल्ड वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन  आपको बहुत हमारी संस्था के साथ जुड़कर नाम और पैसा कमाने का मौका दे रही है इसके साथ जुड़कर आप हमारी संस्था से बहुत कुछ लाभ 
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                                 धन्यवाद
DHRITESH KUMAR LANJHI
SPONSER ID-558

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психолог

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