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हम समझदार है या हम बेवकूफ है ये हमारे चेहरे पर नहीं लिखा होता है और ना ही किसी और के चेहरे पर लिखा होता है | व्यक्ति समझदार है या बेवकूफ है, इसकी पहचान उसके द्वारा किये गए कार्य और उसके विचारों से पता चलती है | तो आज की इस पोस्ट में 2 गाँव की एक कहानी है | जो एक नदी के दोनों किनारों पर बसे हुए है |
2 गाँव होते है जो गंगा नदी के दोनों किनारों पर बसे हुए है | एक गाँव गंगा से पुर्व की दिशा में है जिसकी गंगा नदी से दूरी 5 किलो मीटर है दूसरा गाँव गंगा नदी के पक्षिम दिशा में बसा हुआ है और उसकी दूरी भी गंगा नदी से 5 किलो मीटर है | दोनों ही गाँव में रहने वाले लोगों की संस्था 2 - 2 हजार है | जिसमें प्रत्येक घर में एक एवरेज के अनुसार 5 सदस्य है | इस प्रकार दोनों ही गाँव में 400 - 400 घर है |
दोनों ही गाँव बहुत अच्छे है और दोनों ही गाँव के लोगों के पास रोजगार भी है लेकिन गाँव में पानी बहुत खारी है या पीने योग्य नहीं है | इसलिए दोनों ही गाँव के लोगों को पीने के लिए पानी गंगा नदी से लाना पड़ता है | इस प्रकार दोनों ही गाँव में सबसे बड़ी समस्या पानी की है | इस समस्या से निपटने के लिए गाँव वाले लोगों ने एक बहुत ही अच्छा समाधान निकल रखा था | जैसे की मैंने आपको पहले ही बताया है की प्रत्येक घर में एक एवरेज के अनुसार 5 सदस्य है तो उनमें से 4 लोग रोजगार पर जाते है और एक व्यक्ति का काम होता है की वो दिन में 2 बार गंगा नदी पर जाएँ और पूरे परिवार के लिए पानी लेकर आयें | जिसके लिए परिवार के लोग उसको एक साइकिल भी खरीद कर देते थे जो 4000 हजार रुपये की आती थी और 2 पानी भरने की केन जिनमें 50 - 50 लीटर पानी आजाता था |
इस प्रकार 5000 रुपये पानी लाने के लिए सामान में खर्च करना पड़ता था और एक व्यक्ति जो दिन में 2 चक्कर लगाकार 100 - 100 लीटर से 200 लीटर पानी पूरे परिवार के लिए ले आता था | और परिवार के जो सदस्य काम करने जाते थे वो लोग 500 रुपये प्रति व्यक्ति की झाडी के हिसाब से 2000 रुपये रोज कमा लेते थे | लेकिन उनको अपनी कमाई में से 100 - 100 रुपये उसको भी देने पड़ते थे जो उन सभी के लिए पानी लेकर आता था | तो इस प्रकार सभी की डेली की इनकम 400 रुपये हो जाती थी |
दोनों ही गाँव के लोग अपनी इस नीति से बहुत खुश थे | अब उनको पानी लाने की भी टेंशन नहीं होती थी और जो पानी लाता था उसको भी उसकी 400 रुपये झाडी मिल जाती थी | मेरे कहने का अर्थ ये है की वो लोग 500 रूपए रोज की झाडी के हिसाब से पूरे परिवार के 5 लोग 2500 रुपये कमा सकते थे, लेकिन पानी की समस्या की बजह से वो केबल 2000 रुपये ही कमा पाते थे और उनके 500 रुपये रोज और महीने के 15000 रुपये का नुक्सान केबल पानी की बजह से हो जाता था |
जब एक समजदार शहरी बाबू उन गाँव में गया तो उसने ये सब बात उन लोगों को बताई की अगर आपकी पानी की समस्या खत्म हो जाएँ और आपको आपके घर पर ही पानी मिलने लगे तो आपकी 15000 रुपये की जो इनकम कम होती है वो ज्यादा होने लगेगी | तो गाँव वाले बोले, चाहते तो हम भी है लेकिन ऐसा हो कैसे सकता है | हमारे यहाँ जमीन का पानी बिलकुल बेकार है | हमारे पास गंगा नदी से पानी लाने के अवाला कोई और साधन ही नहीं है | तो शहरी बाबू ने उन दोनों ही गाँव वाले लोगों को बोला की मैं आपकी इस समस्या का समाधान कर सकता हूँ और आपको हर दिन आपके घर में ही गंगा नदी का पानी मिलने लगेगा | और पूरे दिन में 200 लीटर नहीं बल्कि इससे 10 गुना ज्यादा पूरा 2000 लीटर प्रति दिन मिल सकता है | तो दोनों ही गाँव वाले बहुत खुश हुए और पूछने लगे की ये कैसे हो सकता है | तो उसने जबाब दिया की आप मुझे 2 दिन का समय दीजिये मैं आपको बताऊंगा की ये नामुमकिन काम कैसे हो सकता है |
शहरी बाबू ने खूब सोच विचार करके एक योजना तैयार की और सबसे पहले पूर्व दिशा वाले गाँव में गया | पूर्व दिशा वाले गाँव के लोगों को इकठ्ठा किया और बोला की अगर हम अपने गाँव से गंगा नदी तक 1 पाइपलाइन लगा दे तो हमें पाइपलाइन से सीधा पानी अपने गाँव में ही मिल जाएगा और फिर हम उसी पाइपलाइन में से सभी के घर - घर नल लगा देंगे | जिसमें से प्रत्येक व्यक्ति 2000 लीटर पानी हर दिन ले सकता है | तो गाँव वालों को ये बात बहुत पसंद आई, बोले ये तो बहुत अच्छी बात है की हमें अब 200 लीटर की जगह पूरा 2000 लीटर पानी रोज मिलेगा जिससे तो हम नहा भी सकते है और अपने पशुओ को भी मीठा पानी पीला सकते है |
उसके बाद उसने अपनी पूरी योजना बताई कि इसके लिए आप सभी को प्रत्येक परिवार से 15000 हजार रुपये देने होंगे जिससे टोटल 60 लाख रुपये इकठ्ठा होगा और उस 60 लाख रुपये से गंगा नदी से आपके गाँव तक पाइपलाइन का काम पूरा हो जाएगा | जिसमें 1 व्यक्ति को नौकरी भी मिलेगी जो गंगा नदी के किनारे पर पानी चलाया करेगा और पूरी पाइपलाइन की देखभाल करेगा |
गाँव वालों को यहाँ तक भी ये प्रस्ताब बहुत पसंद आया | बोले ये भी ठीक है | उसके बाद किसी गाँव वाले ने पूंछा कि फिर हमें पानी हमेशा फ्री मिलेगा की दोबारा से भी कोई पैसे देने पड़ेंगे | तो पाइपलाइन का आईडिया देने वाले व्यक्ति ने बोला - नहीं पानी फ्री में नहीं मिलेगा उसके लिए आपको हर महीने 250 रुपये प्रति परिवार के हिसाब से देना पड़ेगा |
अब गाँव वाले बोले जब हमने पाइपलाइन बनवाने के लिए आपको पैसे दिए है तो फिर हमें दोबारा से पैसे क्यों देने पड़ेंगे हमें तो पानी फ्री में मिलाना चाहिए | कुछ लोग बोले ठीक है हम आपको पैसे देने के लिए तैयार है लेकिन हम पैसे तभी देंगे जब हमारे घर पानी आने लगेगा | जब हमें हर महीने पैसे ही देने है तो फिर हम पहले पैसे क्यों दें | उस व्यक्ति ने उन गाँव के लोगों को खूब समझाया की आप जरा सोचिये की आपकी हर महीने 15000 रुपये की बचत भी तो होगी | और आपको एक महीने का ही खर्चा पाइपलाइन लगवाने के लिए देना है और दुसरे महीने से तो आपको केबल 250 रुपये ही देने है जो पैसे इस पाइपलाइन के मेंटिनेंस और इसको देखने और चलाने वाले कर्मचारी को दिए जायेंगे | क्योंकि पाइपलाइन लगाने से ही पानी नहीं आने लगेगा उसके बाद इसको रोज चलाना भी पड़ेगा जिसके लिए एक इंजन और पंप सेट भी लगेगा | इंजन में रोजाना डीजल भी खर्च होगा |
लेकिन गाँव वालों ने उसकी बात नहीं मानी और बोले हमें तुम्हारे ऊपर कोई भरोसा नहीं है -
आप हमारे 15000 लेकर भाग गए तो
पाइपलाइन से पानी नहीं आया तो
बीच में पानी बंद हो गया तो
पानी दो और पैसे लो, पहले नहीं देंगे
ये सब बकवास है ऐसे पानी नहीं आता है
इसी प्रकार के अनेक बहाने पूर्व दिशा वाले गाँव के लोगों ने बता दिए | अब जिस व्यक्ति ने ये विचार बनाया था गाँव की भलाई के लिए उसके पास तो पैसे थे नहीं जो उनके लिए वो पहले पैसे लगा देता और फिर उनको पानी देता | इसलिए हार मानकर वो सोचने लगा की दुसरे गाँव में जाऊंगा तो वो भी ऐसे ही बोलेंगे |
जब वो व्यक्ति शहर वापिस जा रहा था तो उसको पक्षिम दिशा वाले गाँव का एक व्यक्ति रास्ते में ही मिल गया | लेकिन उसने उससे कुछ नहीं कहाँ और चुपचाप जाने लगा | लेकिन जैसे ही उस गाँव के व्यक्ति से उस व्यक्ति को देखा तो उसके चेहरे पर एक बहुत ही मीठी ख़ुशी उभर आयी और उस व्यक्ति को भागकर रोक लिया | और बोला बाबूजी आप आगये | हमारा पूरा गाँव कल रात से ही आपका इन्तजार कर रहा है की आप आज आएंगे | जब से आपने गाँव में पानी लाने के लिए बोला है तब से गाँव में एक ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी है | आप जल्दी चलिए मेरी साइकिल पर बैठिये में आपको लेकर चलता हूं |
एक बार तो उस शहरी बाबू ने सोचा की में उस गाँव में जाऊ की नहीं, अगर उन्होंने भी मेरी बात नहीं मानी तो क्या होगा | लेकिन जब उसने पक्षिम दिशा गाँव के उस व्यक्ति की आखों में ख़ुशी देखी तो उसने मना नहीं किया और उस व्यक्ति की साइकिल पर बैठ कर उसके गाँव चला गया |
जब वो उस गाँव में पहुंचा तो उस गाँव के लोगों ने उस शहरी व्यक्ति का खूब स्वागत किया और सभी ने एक साथ बोला बाबूजी आप आदेश कीजिये की हमें क्या करना है | बस हमारे गाँव में पानी आजाना चाहिए | आप पहले व्यक्ति है जिसने हमारे गाँव में मीठा पानी लाने की बात कहीं है वर्ना ये हमारा एक सपना ही रह जाता | हम अपने सपने को पूरा करने के लिए सब कुछ कर सकते है | अब उस शहरी बाबू को विश्वास हो चूका था की ये लोग जरूर मेरी बात मन लेंगे | तो उसने वही योजना इस गाँव के लोगों को भी बताई जो पहले गाँव में बताई थी, लेकिन इस गाँव के लोगों में नकारात्मक सोच देखने तक के लिए नहीं थी | सबसे पहले गाँव का मुखियां ही बोला आप 15000 हजार प्रति परिवार नहीं 30000 हजार प्रति परिवार लीजिये लेकिन गाँव में पानी जल्दी से जल्दी लेकर आईये | हम हर महीने 250 नहीं बल्कि 500 रुपये महिना देने को तैयार है |
जब उसने ये बात सुनी तो उसका मन खुशी से झूम उठा और उसके मन में एक नयी योजना आगई | उसने बोला की अगर आप मुझे एक साथ 30 हजार रुपये दे देते है तो में आपके ये 30 - 30 हजार भी वापिस कर दूंगा और आपको जीवन भर फ्री में पानी मिलता रहेगा | जब ये बात सुनी तो गाँव के लोगों की ख़ुशी और दोगुनी हो गयी | सभी ने उसी दिन उस शहरी बाबू को 30 - 30 हजार रुपये दे दिए और वो दुसरे दिन ही उसी गाँव के 20 लोगों को लेकर गया और शहर से पाइपलाइन का पूरा सामान लेकर आगया | 10 दिन के अन्दर उसी गाँव के लोगों को लगाकर पाइपलाइन का काम पूरा कर दिया |
11 वे दिन उस गाँव के हर घर में पानी आगया था | अब तो उस गाँव की खुशियों का ठिकाना ही नहीं था | सभी लोग अपना पूरा काम अब मीठे पानी से ही करते थे | लेकिन अब शहरी बाबू को कुछ और काम भी करना था जिससे उस गाँव के लोगों को पानी हमेशा फ्री में ही मिलता रहे | तो उसने पूर्व दिशा वाले गाँव में पानी लेजाने का प्लान बनाया | क्योंकि उसने गाँव वालो से दोगुने पैसे लिए थे 30 - 30 हजार | लेकिन पाइपलाइन में तो केबल 15 - 15 हजार के हिसाब से ही खर्च हुए थे |
इस प्रकार उसने पक्षिम दिशा वाले गाँव के अच्छे लोगों को लगा कर पूर्व दिशा वाले गाँव में भी घर - घर पानी पंहुचा दिया | और पानी लेने वाले प्रत्येक परिवार से एक दिन का 50 रुपये लेने लगा | क्योंकि उस गाँव के लोग तो कुछ ज्यादा ही होशियार थे और वही बोल रहे थे की हमारे गाँव में पानी आजायेगा तब हम पैसे देंगे | इसलिए अब उस गाँव के लोग नदी पर पानी लेने नहीं जाते थे उसी से 50 रुपये रोज या 1500 रुपये महिना पानी लेते थे | तो उस शहरी बाबू को उस गाँव से ही 6 लाख रुपये (1500x400=600000) महीने की कमाई हो जाती थी | जिसमें से उसने उस गाँव के लोगों से जो पैसे लिए थे 30 - 30 हजार वो भी वापिस कर दिए और आस - पास के अन्य गाँव के लिए भी पानी की पाइपलाइन लगा दी | और पक्षिम दिशा के गाँव वाले लोगों के लिए और बड़ियाँ लाइन लगा दी और सभी गाँव वालों के लिए पानी बिलकुल फ्री में मिलना शुरू हो गया और जितना चाहो उतना प्रयोग करों |
शहरी बाबू ने उसी गाँव के सभी लोगों को पाइपलाइन की देखभाल और चलाने की नौकरी देदी | इस प्रकार उसने नदी के आस-पास के 100 गाँव में पानी पंहुचा दिया और वह एक अमीर व्यक्ति बन गया और उसके पक्षिम दिशा वाले गाँव में ही अपना घर बना लिया | क्योंकि उस गाँव के लोग सकारात्मक सोच वाले और हमेशा साथ देने वाले समझदार लोग थे | सभी गाँव वाले लोग उसका बहुत सामान करते थे क्योंकि उसकी बजह से उस गाँव के लोगों को ज्यादा सैलरी वाली पाइपलाइन की पक्की नौकरी मिल गयी थी और पूरे गाँव में खूब पानी था |
तो दोस्तों अब आप समझ ही गए होंगे की कौन से गाँव के लोग समझदार थे - पक्षिम दिशा वाले गाँव के या पूर्व दिशा वाले गाँव के लोग बेबकूफ थे जो आज भी हर महीने पानी के लिए 1500 रुपये प्रति परिवार के हिसाब से देते है |
इस कहानी से मेरा तात्पर्य यही था की हर काम हो सकता है लेकिन उसके लिए आपको सबसे पहले विश्वास करना ही पड़ेगा | अगर आप पहले विश्वास कर लेंगे तो आपको ज्यादा फायदा होगा और अगर आप बाद में विश्वास करेंगे तो आपको कम फायदा होगा |
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